देशप्रकाश त्रिवेदी की कलम से

यूपी चुनाव-कांग्रेस प्रियंका को लेकर दुविधा में क्यों ?

National SamacharLine | 

उत्तरप्रदेश चुनाव में कांग्रेस प्रियंका गांधी की भूमिका को लेकर असमंजस में है। कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ता प्रियंका गांधी को लेकर ख़ासा उत्साहित है लेकिन कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी को ही उत्तरप्रदेश चुनाव में मुख्य भूमिका में उतारना चाहती हूं। प्रियंका को लेकर कांग्रेस की दुविधा क्या है? क्यों कांग्रेस शीला दीक्षित के साथ प्रियंका को प्रचार अभियान में लाना नहीं चाहती है?

गौरतलब है कि पार्टी के प्रचार अभियान में शीला और राहुल तो है लेकिन प्रियंका को प्रचार सामग्री में स्थान नहीं दिया गया है। आखिर प्रियंका को लेकर इतनी दुविधा क्यों?। 10, जनपथ में पैठ रखने वाले सूत्र बताते है कि सोनिया गांधी राहुल को लेकर बहुत सतर्क है| वे यह जानती है कि प्रियंका की ‘मास अपील{mass appeal}’ राहुल से ज्यादा है लिहाजा राहुल को स्थापित किए बिना प्रियंका को लाना उनके राजनीतिक करियर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। उल्लेखनीय है कि यूपी चुनाव को लेकर कांग्रेस के आम कार्यकर्ता में प्रियंका गांधी को लेकर उत्साह और दिलचस्पी थी। पार्टी के नेता भी प्रियंका को पार्टी का चेहरा बनाना चाहते थे लेकिन रणनीतिकार के रूप में प्रशांत किशोर के आने के बाद राहुल के उत्थान को लेकर उनपर फोकस ज्यादा हो गया। प्रशांत किशोर ने सोनिया को आश्वस्त किया कि वे अपनी आक्रामक रणनीति से राहुल का कद बड़ा बना देंगे। उन्होंने सोनिया को इस बात के लिए राजी कर लिया कि प्रियंका की भूमिका रायबरेली और अमेठी तक सीमित रखी जाये ।

प्रशांत किशोर की प्रियंका को लेकर राय से राज्य के अधिकांश नेता नाराज है। पूर्वांचल के एक नेता इसे प्रशांत किशोर का षड्यंत्र करार देते है। उनके अनुसार पहले मोदी फिर नितीश और अब कांग्रेस के साथ प्रशांत किशोर की विश्वसनीयता सवालो के घेरे में है। बनारस में रह रहे एक राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि शीला दीक्षित के स्थान पर  प्रियंका कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हो सकती थी। शीला के नाम पर वोट मिलना मुश्किल है।

प्रकारांतर से प्रशांत किशोर के खिलाफ स्वर उठने लगे है। शीला दीक्षित के आने से कांग्रेस का आम कार्यकर्ता ठगा हुआ महसूस कर रहा है। बहरहाल सोनिया राहुल को जननेता बनाना चाहती है लेकिन आम कांग्रेसजन प्रियंका को आगे लाने के पक्ष में है। सोनिया की दुविधा पार्टी पर भारी पड़ने वाली है।

प्रकाश त्रिवेदी @ samacharline